सम्पादकीय :::::…… भगवान सूर्योपासना व आस्था का पर्व है छठ पूजा

आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव। खास तौर पर छठ पूजा पहले बिहार में मनाया जाने वाला अब करीब-करीब देश के सभी राज्यों में भी मनाया जाने लगा है। वैसे अब तो सुनने में आता है कि विदेशों में भी बड़ी श्रद्धा से यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। यह एक कृषक समाज का पर्व भी कहा जाता है, कृषक इस अवसर पर अपने तमाम कृषि उत्पादों केला, गन्ना, नारियल, बड़ा वाला नींबू, शकरकंद, शरीफा, हल्दी, अदरक, शहद, नए चावल का अक्षत, दूध व आटे व गुड़ से बना ठेकुआ की पूजा करते हैं। यह सब नए बांस की बनी डलिया और सूप आदि के साथ किसी नदी या तालाब के पानी में खड़े होकर सूर्य का आभार प्रकट करते हैं। चूंकि यह फसल के उत्पादन में सूर्य के साथ नदियों और तालाबों की भूमिका ही मुख्य है।


बताना लाजमी होगा कि छठ पर्व का त्यौहार सर्वप्रथम बिहार राज्य से शुरुआत होकर आज भारत के लगभग सभी प्रदेशों में मनाने वाला यह पर्व बन गया है इस पर्व पर महिलाएं निर्जला रहने के बाद भगवान सूर्य के दोनों रूपों को अर्घ्य देकर अपने सुख हो मंगल की कामना करती हैं। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान सूर्य की डूबते और उगते इन दोनों रूपों की पूजा की जाती है जिससे सुख समृद्धि की कामना की जाती है। यह मुख्य रूप से पुत्रोपासना का भी पर्व माना जाता है।