बेतिया(प.चं.) :: संस्कार एवं चरित्र निर्माण ही मनुष्य के भावी जीवन की आधारशिला है : स्वामी उपेंद्र पाराशर जी महाराज

विजय कुमार शर्मा, बेतिया(प.चं.), बिहार। बाल्य काल के संस्कार एवं चरित्र निर्माण ही मनुष्य के भावी जीवन की आधारशिला है और बालक विदेश का धन है। भारत का भविष्य विश्व का गौरव और अपने माता-पिता की शान हैं बच्चे देश के भावी नागरिक हैं और आगे चलकर उन्हीं के कंधों पर देश की स्वतंत्रता संस्कृति की रक्षा तथा उसकी पारि पुष्टि का भार पढ़ने वाला है। उक्त बातें जगतगुरु उपेंद्र पाराशर जी महाराज ने पूर्वी चंपारण जिले के छपवा में आयोजित महायज्ञ में शामिल होने जाने के क्रम में मझौलिया थाना अंतर्गत सेनवरिया पंचायत के दुबौलिया गांव निवासी समाजसेवी अनुज कुमार सिंह के निवास पर आयोजित एक बैठक के दौरान बच्चों के भविष्य पर चर्चा के दौरान अपने उदगार में व्यक्त किया।स्वामी श्री पाराशर ने कहा कि आज प्रत्येक माता-पिता यह चाहते हैं कि उनके बच्चे ना केवल स्कूली विद्या में सफल हो अपितु अन्य कलाओं जैसे खेलकूद सहित अन्य सामाजिक कार्यकलापों में भी सफल रहे। उन्होंने कहा कि बच्चों को शारीरिक मानसिक बौद्धिक नैतिक तथा आध्यात्मिक विद्याओं का पूर्ण रूप से शिक्षा देना हमारा पुनीत कर्तव्य बनता है बच्चों में माता-पिता एवं गुरुजनों का आदर व आज्ञा पालन जैसे उच्च संस्कार प्राणायाम योगासन सूर्य नमस्कार ध्यान स्मरण शक्ति बढ़ाने की युक्तियां बाल कथाएं पर्व महिमा देशभक्तों व संतो महापुरुषों के दिव्य जीवन चरित्र बताना वेद पुराण संतो द्वारा कही गई साखियां का ज्ञान भी देना अनिवार्य है। स्वामी जी ने कहा कि आजकल के दूषित वातावरण में मांसाहार व्यसनों के प्रति आकर्षण अश्लीलता को भड़काने वाले दृश्य आदि को प्रोत्साहन मिल रहा है लेकिन जीवन के उत्थान नीति पूर्ण आचरण सफलता के सुलभ उपाय आज के गतिमान युग में बढ़ रहे चिंता तनाव से बचने के नुस्खे माता-पिता अध्यापक सबके प्रिय बनने की युक्तियां आदि बातों का वर्तमान शिक्षा में नितांत अभाव है उन्होंने स्पष्ट कहा कि सभी सज्जनों साधकों संत महात्माओं व देशवासियों से अनुरोध है कि पश्चिमी सभ्यता का एक स्वर से विरोध करते हुए बालकों में कृष्ण कन्हैया शिवाजी महाराणा प्रताप बालक भरत वीर भगत सिंह सहित रामचरितमानस गीता आदि का जीवन चरित्र एवं उपदेशों का पुरजोर आत्मसात करने के लिए प्रेरित करें।। मौके पर उपस्थित एसडीपीओ पंकज कुमार रावत ने कहा कि हंसने बोलने उठने बैठने की शैली भी बालक अपने आसपास के लोगों से ही सीखता है परंतु इन समीपवर्ती प्रभाव डालने वाले व्यक्तियों में सबसे अधिक प्रभावशाली माता पिता ही होते हैं क्योंकि वही बालक के जन्म से लेकर उसके समझदार होने तक की अवस्था में सदा अधिक से अधिक उसके सम्मुख उपस्थित रहते हैं समाज का भी नैतिक कर्तव्य है कि बच्चों के ऊपर अच्छे संस्कार की छाप छोड़ने में सहायक हो वही थानाध्यक्ष कृष्ण मुरारी गुप्ता ने कहा कि माता पिता के आचरण का बालकों पर जितना प्रभाव पड़ता है उतना अन्य किसी का नहीं माता पिता के सदाचरण और सद्गुणों के प्रभाव से ही संतान आदर्श और गुणवान बनती है। इस अवसर पर समाजसेवी अनुज कुमार सिंह पैक्स अध्यक्ष अंशु कुमार सिंह अजय कुमार सिंह सचिन कुमार सिंह मुखिया पति ताराचंद्र यादव सुरेंद्र राम अजय कुमार यादव विकास जी सहित अन्य ग्रामीण और बच्चे बच्चियां उपस्थित रहे।


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