छपरा :: कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा पोषण पुनर्वास केंद्र, एक साल में 419 बच्चों को किया गया सुपोषित

• भर्ती हुए बच्चों की माताओं को प्रतिदिन 150 रुपए की प्रोत्साहन राशि • कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर भेजती है आंगनबाड़ी सेविका  • आंगनबाड़ी सेविकाओं को दिए जाते हैं 200 रूपये।विजय कुमार शर्मा, बिहार, छपरा। सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। वर्ष 2019 में 419 कुपोषित बच्चों का इलाज कर सुपोषित किया गया है। सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया अति-कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र(एनआरसी) केंद्र का संचालन किया जा रहा है। सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र द्वारा बच्चों का उपचार एवं पौष्टिक आहार देने के साथ उन्हें अक्षर ज्ञान का भी बोध कराकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा की अनूठी मिसाल पेश की जा रही है।
क्या है आंकड़ा( वर्ष 2019 में )::::: • जनवरी- 39 • फरवरी- 30 • मार्च- 32 • अप्रैल -32 • मई -31 • जून - 30 • जुलाई- 37 • अगस्त- 48 • सितंबर- 30 • अक्टूबर- 43 • नवंबर- 32 • दिसंबर- 35। 8 वर्षों से चल रहा है पुनर्वास केंद्र ::: सारण जिले के सदर अस्पताल में पिछले आठ वर्षों से पुनर्वास केंद्र का संचालन किया जा रहा है। कुपोषित बच्चों के लिए यहां 3 वार्ड बनाए गए हैं, जहां उपचार के साथ उन्हें अक्षर ज्ञान का भी बोध कराया जाता है। क्या-क्या मिलती है सुविधएं ::::: पोषण पुनर्वास केंद्र पर कुपोषित बच्चों एवं उनकी माताओं को आवासीय सुविधा प्रदान किया जाता है। जहां उसके पौष्टिक आहार की व्यवस्था है। यहां कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं को 21 दिन तक रखने का प्रावधान है। मार्गदर्शिका के अनुसार जब बच्चे के वजन में बढ़ोतरी होना आरंभ होने लगता है तो उसे 21 दिन के पूर्व ही छोड़ दिया जाता है।। दी जाती है ये पौष्टिक आहार :::: डाइट प्लान तैयार की जाती है। अवधि में बच्चों को एफ-100 मिक्स डाइट की दवा दी जाती है। एनआरसी में भर्ती बच्चों को आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर,, अंडा दिया जाता है।एनआरसी केंद्र में तीन वार्ड बनाये गये हैं। जिसमें कुल 20 बेड लगे हुए है। इस वार्ड में एक साथ 20 बच्चों को भर्ती कर उनका प्रॉपर उपचार के साथ पौष्टिक आहार भी निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। यहां भर्ती किए जाने के बाद बच्चे 10 से 30 दिनों में पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर को वापस जाते हैं।  तीन स्तर पर कुपोषित बच्चों की होती है पहचान :::: जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार ने बताया पोषण पुनर्वास केंद्र में 0 से लेकर 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ही भर्ती किया जाता है। कुपोषित बच्चों के पहचान के लिए तीन स्तर पर उनकी जांच की जाती है। तीनों जांच के बाद ही बच्चे को कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है। सर्वप्रथम बच्चे का हाइट के अनुसार वजन देखा जाता है। दूसरे स्तर पर एमयूएसी जांच में बच्चे के बाजू का माप 11.5 से कम होना तथा बच्चे का इडिमा से ग्रसित होना शामिल है। तीनों स्तर पर जांच के दौरान बच्चे कुपोषित की श्रेणी में रखकर उसे भर्ती कर 1 महीने तक उपचार के साथ पौष्टिक आहार दिया जाता है। उपचार के साथ अक्षर ज्ञान के लिए स्कूल की तरह सजा है एक कमरा ::::: एनआरसी केंद्र में बच्चों को उपचार एवं पौष्टिक आहार के साथ अक्षर ज्ञान का भी बोध कराया जाता है। यह कार्य वहां मौजूद एएनएम के द्वारा बखूबी निभाया जाता है। यहां दीवारों पर अक्षर ज्ञान के साथ कुछ तस्वीरें भी बनवाई गई हैं। जिसके माध्यम से बच्चों को अक्षर का बोध कराया जाता है।
भर्ती बच्चों की मां को दी जाती है प्रोत्साहन राशि:
एनआरसी केंद्र में भर्ती बच्चों के माता को प्रतिदिन 150 रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। भर्ती होने वाले बच्चे शून्य से 5 वर्ष तक के होते हैं। इसके लिए बच्चों की देखभाल के लिए मां को भी साथ रहना पड़ता है। जहां उनके रहने एवं भोजन की व्यवस्था के साथ उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से 150 रुपए का भुगतान भी किया जाता है। आगंनबाड़ी की सेविका व आशा कार्यकर्ताओं द्वारा सर्व करके कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है और बच्चों को बेहतर उपचार के लिए एनआरसी लाती हैं। इसके लिए आशा एवं सेविकाओं को 200 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है ताकि वह गांव गांव में घूमकर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें एनआरसी में भर्ती करवा सकें।