कुशीनगर :: चीनी मिल के समस्याओं का समाधान को लेकर सिविल सोसाइटी दाखिल करगी याचिका : गिरीश चतुर्वेदी

डेस्क, कुशीनगर केसरी, कुशीनगर। पडरौना चीनी मिल वर्ष 2011 से बंद है। इस चीनी मिल पर किसान,मजदूर व विभिन्न वित्तीय एजेंसियों का कुल मिलाकर लगभग 70 करोड़ रुपए से भी अधिक का बकाया है।विगत 5 वर्षों से इस चीनी मिल की नीलामी प्रक्रिया मुख्य गन्ना आयुक्त (क्रय) लखनऊ द्वारा जारी वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर चल रही थी मगर सक्षम खरीदार न मिलने से आजतक नीलाम भी न हो सकी है। 
इस चीनी मिल के वर्तमान प्रमोटर जे०एच०वी०सुगर एण्ड डिस्टीलरीज प्रा०लि०और अन्य पूर्व प्रमोटर जैसे केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय, ब्रिटीश इंडिया कार्पोरेशन लि०तथा गंगोत्री इंटरप्राईजेज इसका स्वामित्व स्वीकार्य करने ,दायित्व लेने ,देयकों का भुगतान करने तथा चलाने से इंकार कर रहे हैं।
इस कारण पडरौना चीनी मिल के चलने की आशा धूमिल एवं इससे से जुड़े हजारो गन्ना किसान व मजदूरों का भविष्य तथा उनके बकाया देयकों का भुगतान अधर में लटका है।
अब पडरौना चीनी मिल को चलाने का एकमात्र विकल्प न्यायालय की शरण में जाकर इस चीनी मिल का सर्वप्रथम स्वामित्व व दायित्व निर्धारण कराना है।यदि न्यायालय द्वारा निर्धारित स्वामी इस चीनी मिल को चलाने में फिर असमर्थता व्यक्त करता है तो जनहित में उ०प्र०सरकार द्वारा पडरौना चीनी मिल का अधिग्रहण करके इसको चलाने का आदेश पारित कराना ही अंतिम उपाय शेष बचता है। 
कुशीनगर सिविल सोसाइटी इस संदर्भ में विधि विशेषज्ञों से पडरौना चीनी मिल के स्वामित्व /दायित्व निर्धारण/ सरकारी अधिग्रहण तथा क्योंकि इस चीनी मिल में केन्द्रीय सरकार व संस्थाएं भी एक पक्षकार हैं अत: सक्षम न्यायिक अधिकार क्षेत्र(उच्च न्यायालय अथवा उच्चतम न्यायालय) के चुनाव संबंधी विधिक संभावनाओं एवं उपचारो पर विचार वार्ता कर रही है जो अंतिम चक्र में है।सब कुछ ठीक रहा तो सिविल सोसाइटी जनवरी 2020 के द्वितीय पक्ष में जनहित याचिका दायर करेगी।