शहाबुद्दीन अहमद, बेतिया(प.चं.), बिहार। आज बेतिया रेलवे स्टेशन का जायजा लेने के उपरांत यह नजारा सामने आया कि बेतिया रेलवे स्टेशन पर अपने चार मासूम बच्चों के साथ यात्रियों के रहमों करम पर व और मजदूरी के बदौलत ,जोगेंदर गुजर-बसर कर रहा है। पत्नी के वियोग में, अपने चारों मासूम के साथ जीवन यापन कर रहा है,कड़ाके की ठंड में कभी प्लेटफार्म तो कभी रेलवे स्टेशन परिसर , कभी फुटपाथ पर जिंदगी गुजारने पर मजबूर है।
जोगेंद्र ने संवाददाता को बताया कि जब मजदूरी मिल जाती है तो वह रिक्शा भी चला लेता है या फिर कोई अन्य काम कर लेता है, जब कोई काम नहीं मिलता तो रेलवे स्टेशन परिसर में रहने पर बड़े दिल वाले यात्रियों के रहमोकराम के बदौलत इसकी जिंदगी गुजर रही है।
पीड़ित, जोगिंदर से संवाददाता को बात करने के बाद यह पता चला कि मूल रूप से नरकटियागंज के फुलवरिया निवासी जोगेंद्र को 4 बच्चे, हर- सोतिया, सोना मति ,सनी देओल एवं रवि किशन हैं ,उसकी पत्नी नागावली करीब 3 माह पहले अपने पति और चार मासूम बच्चों को छोड़कर कहीं चली गई है, तब से वह अपने मासूम बच्चों को अपने साथ ही स्टेशन परिसर में रहकर जीवन यापन कर रहा है, संवाददाता ने अन्य रेल यात्रियों से संपर्क कर इस पीड़ित को मदद करने की गुहार लगाई और खुद से कुछ आर्थिक मदद किया, इसको देखकर अन्य यात्रियों ने भी इसकी मदद करने पर आतुर हो गए। बेशर्म मानवता को आंख से नजर नहीं आ रही है और स्टेशन परिसर पर स्थित स्टेशन अधीक्षक एवं अन्य कर्मचारियों को भी इसके लिए कोई रास्ता नहीं निकाला जा रहा है और ना स्वयंसेवी संस्थाएं ,संगठन या जिला प्रशासन इस पीड़ित परिवार को इस ठंड के दिनों में कंबल एवं आर्थिक सहायता देने को भी नजर नहीं आ रही है।
जिला प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाएं, सामाजिक संगठन से आग्रह करता हूं कि इस पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता देने की उपाय किया जाए ताकि इस भीषण ठंडी में पीड़ित परिवार जीवन यापन एवं जीवन को बचा सके।