बेतिया(प.चं.) :: सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन द्वारा स्वतंत्रता सेनानी बहादुर शाह जफर को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि


शहाबुद्दीन अहमद, कुशीनगर केसरी, बेतिया, बिहार। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 महानायक बहादुर शाह जफर की 245 वी जन्मदिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि।


बताते चलें कि 25 अक्टूबर को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायको एवं स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया! जिसमें पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने 1857 के महानायक बहादुर शाह जफर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला !इस अवसर पर अंतराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद (अधिवक्ता ) ने कहा कि 24 अक्टूबर 17 75 को 1857 को महान स्वतंत्रता सेनानी बहादुर शाह जफर का जन्म हुआ था! उनका सारा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा ! प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की लड़ाई बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में लड़ी गई प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में समय ने उनका साथ नहीं दिया फिर भी मातृभूमि की रक्षा के लिए 82 वर्ष की आयु में अंग्रेजों से संघर्ष करते रहे! भारत का अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर लाल किला छोड़ने से पूर्व निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर आधी रात को पहुंचे एवं हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के खादिम ख्वाजा शाह गुलाम हसन से मिलने की दरख्वास्त पेश की! निजामुद्दीन औलिया के दरगाह के खादिम ख्वाजा सलाम हसन ने बादशाह से परेशानी की वजह पूछी! बादशाह बहादुर शाह जफर ने अर्ज किया" मैं भूखा प्यासा हूं, जमीन और आसमान के बीच कोई भी ऐसी जगह मेरे लिए महफूज नहीं है! चुनांचे पवित्र अवशेष हजरत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की दाढ़ी का पवित्र बाल, जिसे हमारे पूर्वजों ने कुस्तुनतुनिया (तुर्की) के पूर्व शासक यजीद यलदरम से प्राप्त हुआ था! कई सदियों से यह हमारे पूर्वजों के पास था! अब आप ही के पास यह पवित्र अवशेष सुरक्षित रह सकता है! यह कह कर भूखा महान स्वतंत्रता सेनानी बहादुर शाह जफर हिमायू के मकबरे के तरफ कूच कर गए ! जहां उन्हें 20 सितंबर 1857 को धोखे से गिरफ्तार करके कैद कर लिया गया ! इस अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के अवधेश मिश्रा ने कहा कि बहादुर शाह जफर अक्सर कहा करते थे के गंगा जमुना तहजीब का मैं जीता जागता उदाहरण हूं क्योंकि मेरी मां हिंदू परिवार से आती हैं और मेरे पिता मुस्लिम परिवार से ! इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल ,स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर नीरज गुप्ता एवं बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोधार्थी शाहनवाज अली ने कहा कि नेपाली गोरखा एवं पटियाला महाराज के कारण 1857 के सेनानियों को पीछे हटना पड़ा! नहीं तो भारत 18 57 में ही अंग्रेजों से स्वतंत्र हो गया होता! इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिए हमारे पुरखों ने जो बलिदान दिया है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता! इस अवसर पर वक्ताओं ने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि नई पीढ़ी के युवा अपनी स्वतंत्रता आंदोलन की इतिहास को जाने ताकि भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर प्रकट हो सके!