बेतिया(प.चं.) :: विश्व शांति दूतों का हुआ अंतराष्ट्रीय सम्मेलन

शहाबुद्दीन अहमद, कुशीनगर केसरी, बेतिया बिहार। महात्मा गांधी की १५०वीं जन्म शताब्दी सह विश्व शांति दूतों के अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, गांधी पीस फाउंडेशन नेपाल एवं प्रज्ञान अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड के संयुक्त तत्वधान मै भारतीय शिष्टमंडल ने भारतीय प्रथम स्वतंत्रा संग्राम १८५७ की वीरांगना बेगम हजरत महल को काठमांडू जामा मस्जिद स्थित मजार पर दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि।                आज दिनांक ०८ अक्टूबर २०१९ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की १५० वींं जन्म शताब्दी सह विश्व शांति दूतों के तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन बेतिया पश्चिम चंपारण बिहार , गांधी पीस फाउंडेशन नेपाल एवं प्रज्ञान अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय शिष्टमंडल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की १५०वीं जन्म शताब्दी पर आयोजित होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम मै प्रथम स्वतंत्रता संग्राम १८५७ की वीरांगना बेगम हजरत महल को श्रद्धांजलि अर्पित की ! भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के इतिहास विभाग रिसर्च फेलो सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन बेतिया पश्चिम चंपारण बिहार के डॉ एजाज अहमद एवं प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल ने की ! गांधी पीस फाउंडेशन नेपाल की ओर से गांधी पीस फाउंडेशन नेपाल के लाल बहादुर राणा ने श्रद्धांजलि अर्पित की! इस अवसर पर बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोधार्थी शाहनवाज अली एवं जम्मू विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग की ओर से डॉ0 आशिक मलिक ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम १८५७ की वीरांगना बेगम हजरत महल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला! इस अवसर पर रिसर्च फेलो इतिहास विभाग बिहार विश्वविद्यालय सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन बेतिया पश्चिम चंपारण डॉ एजाज अहमद ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की १५०वीं जन्म शताब्दी के इस ऐतिहासिक अंतराष्ट्रीय कार्यक्रम के अवसर पर हमें प्रथम स्वतंत्रता संग्राम वीरांगना बेगम हजरत महल के जामा मस्जिद काठमांडू स्थित मजार पर भारतीय श्रेष्ठ मंडल के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर प्राप्त हो रहा है !यह हमारे शिष्टमंडल को स्वतंत्रा संग्राम मेंं अपने पुरखों के बलिदान को जानने का अवसर प्राप्त हो रहा है! एजाज अहमद ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेपाली जनता के अतुल्य योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। बेगम हजरत महल की मजार इसके जीवंत प्रमाण हैं। स्मरण रहे कि अवध के नवाब वाजिद अली शाह की बेगम – हजरत महल ने अंग्रेजों से मातृभूमि की रक्षा के लिए ७ दिन और ७ रात युद्ध करती रही! आखिरकार समय ने उनका साथ नहीं दिया और निर्वासित जीवन उन्होंने काठमांडू नेपाल में बिताया! ०७ अप्रैल १८७९ को उनकी मृत्यु हो गई। इस अवसर पर जम्मू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ0 आशिक मलिक, प्रज्ञान अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड के डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल, बिहार विश्वविद्यालय की इतिहास विभाग के शोधार्थी शाहनवाज अली एवं गांधी पीस फाउंडेशन नेपाल के अध्यक्ष लाल बहादुर राणा ने भारत एवं नेपाल सरकार से मांग करते हुए कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम वीरांगना बेगम हजरत के मजार को विकसित कर उसे संग्रहालय का रूप दिया जाए संग्रहालय का रूप दिया जाए ताकि आने वाली नई पीढ़ी अपनी गौरवशाली इतिहास को जान सके। यही होगी भारत एवं नेपाल की सरकारों द्वारा इन शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि!