बेेतिया(प.चं.) :: रोगियों के शोषण का द्योतक बना फर्जी चिकित्सकों व अवैध नर्सिंग होम के संचालन पर रोक नहीं लगना

शहाबुद्दीन अहमद, कुशीनगर केसरी, बेतिया पश्चिम चंपारण, बिहार। इन दिनों स्थानीय शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी चिकित्सकों व अवैध रूप से नर्सिंग होम का संचालन होने से रोगियों का शोषण होना स्वाभाविक हो गया है। कई बार विभागीय आदेश के आलोक में जांच की गई, मगर उसका नतीजा शून्य निकला। जांच करने वाली इन अवैध नर्सिंग होम और फर्जी डॉक्टरों से राशि की उगाही करके उनको पून: उसी स्थिति में छोड़ दिया गया, जिससे उनका मनोबल बढ़ गया है ,और विभाग मूकदर्शक बनकर रोगियों का शोषण में सहायता कर रहा है। इन फर्जी चिकित्सकों वअवैध रूप से संचालित होने वाले नर्सिंग होम के द्वारा लोगों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है और साथ-साथ पैसे की उगाही भी अधिक मात्रा में की जा रही है, जिससे रोगी अपने जर -जमीन को बेचकर इलाज कराने के लिए बाध्य हैं। फर्जी चिकित्सकों की क्लीनिक आधुनिक तौर से सजाकर रोगियों का शोषण करने में अच्छी भूमिका निभा रही है, इसके अलावा अवैध नर्सिंग होम का संचालन भी खुल्लम-खुल्ला, रोगियों के जीवन से खिलवाड़ करने का अड्डा बन गया है।
फर्जी चिकित्सकों व अवैध रूप से संचालित होने वाले नर्सिंग होम तथा सुसज्जित क्लीनिकों को सील करने का कार्यक्रम सरकार के द्वारा नहीं किया जाने से इन लोगों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वह किसी पदाधिकारी से डरने का नाम नहीं ले रहे हैं और सुविधा शुल्क के आधार पर अपने आप को बचा रहे हैं। स्वास्थ विभाग ने इन फर्जी चिकित्सकों व अवैध नर्सिंग होम संचालकों पर खुली छूट दे दी है। मगर इन लोगों के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होने से इन फर्जी चिकित्सकों व अवैध रूप से संचालित होने वाले नर्सिंग होम के व्यवस्थापक का मनोबल इतना बढ़ गया है कि रोगियों का शोषण करने में कोई हिचक नहीं है चाहे रोगी की जीवन ही चली जाए।
स्वास्थ्य विभाग के मिलीभगत से इन फर्जी चिकित्सकों एवं अवैध रूप से संचालित होने वाले नर्सिंग होम की दुकान , क्लीनिक खूब फल फूल रहा है ,सेटिंग -गेटिंग के बदौलत यह धंधा खूब चल रहा है, खासकर जिला मुख्यालय में, अस्पताल रोड, मित्रा चौक, कोतवाली चौक, नाज़नी चौक, चिकेपट्टी ,संत घाट ,किशन क्वार्टर सहित तकरीबन दर्जनभर जगह पर फर्जी चिकित्सकों व अवैध नर्सिंग होमों द्वारा धड़ल्ले से मरीजों के जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है ,शिकायत करने पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, स्वास्थ्य विभाग का कान उस समय खड़ा होता है जब मरीज की मृत्यु हो जाती है और मरीज के परिजन अस्पताल में तोड़फोड़, डॉक्टरों से गाली-गलौज, मारपीट करते हैं तब जाकर अस्पताल प्रशासन की नींद टूटती है और पुलिस का सहारा लेकर रोगी और उसके परिजनों को डरा धमका कर प्राथमिकी दर्ज करने से रोका जाता है, पुलिस प्रशासन भी समय पर नहीं पहुंच कर रोगी और उसके परिजनों के साथ होने वाले दलालों के माध्यम से मारपीट करने का इल्जाम को पुलिस के द्वारा मिलकर समाप्त कर दिया जाता है ,जो नैतिकता का घोर उल्लंघन है ,साथ ही मानवाधिकार का भी खुल्लमखुल्ला उल्लंघन हो रहा है, फिर भी अस्पताल प्रशासन मूकदर्शक बनी हुई है।