बेतिया(प.चं.) :: महान स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद तिलक मांझी का बलिदान देश के समर्पित

शहाबुद्दीन अहमद, बेतिया(प.चं.), बिहार। महान स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद तिलक माझी ने जल जीवन पर्यावरण मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए किया बलिदान देश के युवाओं के लिए समर्पित है सही तिलक नागी का जीवन दर्शन।इस अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में शहीद-ए-आजम अमर शहीद तिलक मांझी की 270 वीं जयंती पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया ,इस अवसर पर सर्व प्रथम वरिष्ठ पर्यावरणविद गांधीवादी चिंतक अमित कुमार लोहिया पश्चिम चंपारण ने अमर शहीद शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन दर्शन पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला ,इस अवसर पर रिसर्च फाउंडेशन के सचिव ,स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड अंबेसडर, एजाज अहमद अधिवक्ता ने कहा है कि आज ही के दिन 70 वर्ष पूर्व 11 फरवरी को बिहार के सुल्तानगंज के तिलकपुर नामक गांव में अमृत जी का जन्म हुआ था ,उनका वास्तविक नाम जबड़ा पहाड़िया था, अंग्रेजों के अनुसार उनके दस्तावेज में अभी भी मौजूद है। इन्होंने लोगों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध भारी रोष था, उन्होंने गुलामी और अन्याय के विरुद्ध जंग का ऐलान किया ,भागलपुर के जनता का समर्थन मिला ,धर्म जाति से ऊपर उठकर जनता ने उनका साथ दिया ,1770 ईसवी 1784 तक अकाल के समय उन्होंने मानव जीवन के लिए प्रयासरत रहकर कर उनकी हर संभव सहायता की, 13 जनवरी 1785को जालिम अंग्रेज जिला अधिकारी ने बरगद के पेड़ में लटका कर भागलपुर के बीचो बीच अंग्रेजों द्वारा अमर शहीद शहीद ए आजम तिलक मांझी को जख्मी कर दिया ,अंग्रेजों ने सपने में भी नहीं सोंचा था कि जंगल का रहने वाला आदमी आदिवासी इतना हिम्मत कर सकता है ,पूरा ब्रिटिश सत्ता में आई थी, स्वाधीनता के लिए संघर्ष करते रहे।
इस अवसर पर वक्ताओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि सरकारी स्कूलों में विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में अमर शहीद शहीद ए आजम तिलक मांझी का जीवन दर्शन विशेष रूप से शामिल करें ताकि नई पीढ़ी अपने गौरवशाली इतिहास को जान सके तिलक मांझी विश्वविद्यालय भागलपुर अमर शहीद तिलक मांझी के सम्मान में समर्पित है। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के डॉक्टर शाहनवाज अली एवं स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड अंबेसडर डॉ नीरज गुप्ता ने कहा कि न जाने कितनी युवाओं ने तिलक मांझी के मार्ग को चुनते हुए जल जीवन पर्यावरण संरक्षण एवं मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए शहीद हुए।