ंथशहाबुद्दीन अहमद, बेतिया(प.चं.), बिहार। इन दिनों बैरिया प्रखंड के बगही बघांबारपुर स्थित उदयपुर जंगल सिर्फ नाम का रह गया है, इसका कोई खोजबीन करने वाला नहीं है, ना ही किसी मंत्री या मुख्यमंत्री,या वन विभाग के पदाधिकारियों का ध्यान इस पर जा रहा है, इस तरह अगर किया जाता है तो लगभग 6 साल के अंदर इसका अस्तित्व समाप्त होने की संभावना बन रही है। जिस तरह यहां से पेड़ की कटाई की जा रही है, वन विभाग के पदाधिकारियों कर्मियों एवं गार्डों के मिलीभगत से कागजी कार्रवाई करके जंगल के लकड़ियों को कटवाया जा रहा है। इतना ही नहीं अधिक मूल्य लेकर बिना निविदा के खुल्लम खुल्ला बेचा जा रहा है।
बता दें कि मुख्यमंत्री के द्वारा जल जीवन हरियाली कार्यक्रम का पुरजोर हिमायत किया जा रहा है ,जबकि ठीक इसके विपरीत वन विभाग के पदाधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से वन विभाग को समाप्त करने पर तुला हुआ है, विगत कई वर्षों सेउदयपुर जंगल का कोई देखभाल करने वाला नजर नहीं आ रहा है जो है वह लूटने के चक्कर में पड़ा हुआ है, वन विभाग के द्वारा जानवरों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं है। पेड़ पौधे तो काटी ही जा रहे हैं साथ ही उदयपुर जंगल की अस्तित्व को बचाने के लिए बड़ा कदम उठाने की आवश्यकता है अन्यथा इसका अस्तित्व ही समाप्त होने जा रहा है।