विजय कुमार शर्मा, बिहार, पटना। ऐसी भी क्या दुश्मनी। पटना में हुई एक वारदात ये जानने को मजबूर कर देती है। राजधानी के गर्दनीबाग रोड नंबर 25 में तीन दिन पहले मारे गए सरफराज उर्फ शाहरुख की हत्या की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। लेकिन, अब तक हत्यारे गिरफ्त में नहीं आ सके हैं। तफ्तीश में मालूम हुआ कि सरफराज को मारने के लिए पांच अपराधी आए थे। उसे इशारा कर गली में बुलाया गया। वहां आते ही सभी अपराधियों ने अपने-अपने हथियार से एक-एक गोली चलाई। चार गोली सरफराज के शरीर से मिलीं, जबकि एक कारतूस घटनास्थल से बरामद हुआ था। इधर, पुलिस ने सरफराज के मामा महफूज आलम की लिखित शिकायत पर हत्या की प्राथमिकी दर्ज की है। थानाध्यक्ष अरविंद कुमार गौतम ने बताया कि हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है।
सरफराज पहले फुलवारीशरीफ में रहता था। लगभग तीन महीने पहले जेल से छूटने के बाद वह बुद्धा कॉलोनी इलाके में रहने लगा। उसकी प्रेमिका खलीलपुरा में रहती है। वह प्रेमिका से मिलने के लिए चोरी की बाइक से गया था। इसकी जानकारी विरोधी गुट के बदमाशों को थी। सरफराज प्रेमिका से मिलकर निकला ही था कि बदमाशों ने उसे इशारा कर गली में बुला लिया।
सूत्रों की मानें तो सरफराज को डब्लू मुखिया काफी पसंद करता था। अगर सरफराज ने उसके 10 लाख रुपये का गबन नहीं किया होता तो वह उसकी हत्या नहीं करवाता। हत्या से पहले उसने सरफराज के एक मित्र को कॉल भी किया था। सरफराज चार भाइयों और दो बहनों में बड़ा था। उसके चाचा, दो चचेरे भाई, मंझले भाई और पिता की हत्या कर दी गई थी। तब से उसने डब्लू मुखिया का दामन थाम लिया। उसके दो भाई और बहन राजस्थान चले गए। मां जहानाबाद के मखदुमपुर में भाई के साथ रहने लगी। डब्लू जानता था कि अगर सरफराज बच निकला तो वह लाशों के ढेर गिरा देगा, इसलिए उसने पांचों हत्यारों को एक साथ गोली दागने का आदेश दिया।