बेतिया(प.चं.) :: बाल दिवस के अवसर पर असंगठित क्षेत्र एवं स्लम एरिया के बच्चों को विद्यालय से जोड़ने का सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन ने किया आह्वान

शहाबुद्दीन अहमद, कुशीनगर केसरी, बेतिया पश्चिम चंपारण, बिहार। आज १४ नवंबर को बाल दिवस एवं कस्तूरबा गांधी द्वारा बरहरवा लक्ष्मणसेन ढाका मोतिहारी के समीप बालिकाओं के लिए पहले विद्यालय की स्थापना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में किए जाने की 102 वी वर्ष पूरा होने पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया ! जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ,बुद्धिजीवियों, गांधीवादी विचारको एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया!


इस ऐतिहासिक अवसर पर पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कस्तूरबा गांधी एवं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला!  इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद ने कहा कि आज ही के दिन 14 नवंबर को महान स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था !बच्चों के प्रति उनके प्रेम को देखते हुए प्रत्येक वर्ष उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है! स्मरण रहे कि  चंपारण में कस्तूरबा गांधी ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 14 नवंबर 1917 को बरहरवा लक्ष्मणसेन ढाका मोतिहारी के समीप विद्यालय की स्थापना की थी! इस अवसर पर श्री अहमद ने कहा कि आज सरकार एवं समाज की जिम्मेदारी है कि असंगठित क्षेत्र के बच्चों एवं स्लम एरिया के बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाए ताकि आने वाली भारत की तकदीर को विकास से जुड़ा जा सके एवं भारत विकसित राष्ट्र बन सके !इस अवसर पर बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोधार्थी शाहनवाज अली एवं स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर नीरज गुप्ता ने कहा कि  सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन, बचपन बचाओ आंदोलन   ,फकीराना सिस्टर सोसाइटी समेत अनेक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रही है! ताकि पश्चिम चंपारण में मौजूद 30,000 से अधिक बाल श्रमिकों को मुक्त कराकर विद्यालय से जोड़ा जाए !आज सत्याग्रह की धरती बाल श्रम का केंद्र बनी हुई है! इसे तभी मुक्त किया जा सकता है जब जन जागरण के माध्यम से लोगों को जागृत कर बाल श्रम से होने वाले समस्याओं से समाज को अवगत कराया जा सके!