बेतिया(प.चं.) :: बालात्कारीयों को बचाने की वकालत करने वाले अधिक्ताओं को भी अपराधी दायरे में रख कर उनको भी फाँसी दे देना चाहिए : मुमताज़ अहमद 

शहाबुद्दीन अहमद, कुशीनगर केसरी, बिहार, बेतिया(प.च.)। डा० प्रियंका रेड्डी रेप और हत्या काण्ड पर चर्चा करते हुए राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जन कल्याण संघ बिहार राज्य के प्रदेश संगठन सचिव,सह् जिला अध्यक्ष, पश्चिम चम्पारण बेतिया ने अपने जिला कार्यालय- बगहीं में मुमताज़ अहमद की आँखें उस वक़्त नम हो गई। जब उन्होंने कहा कि कब तक निर्भया जैसी कहानियाँ संकलित थाने से लेकर अदालत तक होती रहेंगी, आगे मुमताज़ अहमद ने कहा है कि कौन कहता है कि डा० प्रियंका रेड्डी की रेप और हत्या में चार व्यक्ति हैं, चार नहीं बल्कि सात हैं, तीन वो पुलिस वाले भी इसी कड़ी के हिस्से हैं। एक सवाल के जबाब में मुमताज़ अहमद ने भ्रष्टाचारियों और अपराधियों के द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाने के अधिकारों को देने वाले और उनके तरफ़ से वकालत कर उन्हें बचाने वाले अधिवक्ताओं को भी, अपराधी दायरे में रख कर उनपर भी ऐसे ही अपराधियों के साथ-साथ फाँसी दे देना चाहिए। आगे कहा कि वहाँ के मुख्यमंत्री मननीय श्री चन्द्रशेखर साहब को चाहिए कि हर राज्य के मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के सचिवों के साथ एक बैठक आहुत करने और ऐसा कानुन इस देश में लागू कराने की कष्ट करें जिस कानून के तहत हत्या और बलात्कार करना तो दूर सोचने को फांसी दे दी जाए । हम हिन्दु-मुस्लिम और मंदिर-मस्जिद में लगें हैं । सरकार एक योजना लाई है जिसका नाम- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ है, मैं अखबार के माध्यम से केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के सलाहकार और उस समिति से पूछना चाहता हूँ कि ऐसा नहीं है कि निर्भया काण्ड के बाद आज तक का यह पहला पहले बलात्कार का हो, हुआ तो जरूर है मगर डा० प्रियंका रेड्डी के साथ इंसाफ की मांग क्यों और लड़कियों और महिलाओं के लिए क्यों नहीं? आगे इस घटना का निंदा करते हुए कहा कि चलिए, निर्भया को भुल जाइए, आज हमारे देश में कानून इतना शख्त बनाना अतिआवश्यक हो गया है कि फिर कभी कोई डाॅ० प्रियंका रेड्डी न बने सकें। इस देश में कोई मुझे बताये कि महिला सशक्तिकरण क्या है ?