बेतिया(प.चं.) :: वित्तरहित शिक्षकों की समस्याओं का जल्द निदान करें सरकार : प्रो०रणजीत कुमार

शहाबुद्दीन अहमद, कुशीनगर केसरी, बेतिया, बिहार। बिहार शिक्षा मंच के संयोजक तथा सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के भावी प्रत्याशी प्रो०डॉ०रणजीत कुमार ने वित्तरहित शिक्षकों के समस्याओं के जल्द निदान हेतु बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को स्मार-पत्र भेजते हुए कहा है कि बिहार के संबद्ध माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक एवं डिग्री कॉलेजों का बिहार के ग्रामीण अंचल में शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार में महती योगदान है। इन शिक्षण संस्थानो के महत्व एवं योगदान को स्वीकार करते हुए सरकार ने 2008 से इन्हें परीक्षाफल आधारित अनुदान देने का ऐलान किया।


एक दशक के उपरांत यदि सरकार की इस नीति की समीक्षा किया जाए तो निष्कर्ष उत्साहवर्द्धक दिखाई नही देता । सरकार द्वारा घोषित एवं प्रवर्तित परीक्षाफल आधारित अनुदान की अपनी सीमाएं है। वित्तरहित माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को शैक्षणिक सत्र 2013 तक का ही अनुदान आवंटित हुआ है। अनुदानित डिग्री कॉलेजों की स्थिति तो और भी बदतर है। बिहार के अन्य विश्वविद्यालयो में शैक्षणिक सत्र 2011 तक की अनुदान राशि शिक्षा विभाग द्वारा विमुक्त किया गया है जबकि जयप्रकाश विश्वविद्यालय ,छपरा में तो शैक्षणिक सत्र 2010 तक का ही अनुदान राशि शिक्षकों को प्राप्त हुआ है। माध्यमिक स्तर का 6 वर्ष का और डिग्री स्तर पर 8 वर्ष का अनुदान बकाया रहना इस तथ्य को इंगित करता है कि परीक्षाफल आधारित अनुदान की व्यवस्था नीतिगत एवं क्रियान्वयन दोनों स्तरों पर विफल हो चुकी है। समय पर अनुदान नही मिलने से शिक्षकों की माली हालत बहुत खराब है। बड़ी संख्या में शिक्षक अवकाश ग्रहण कर रहे है। शिक्षकों को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा की छतरी भी हासिल नही है। दूसरी तरफ जयप्रकाश विश्वविद्यालय से संबद्ध 11 महाविद्यालयो में कार्यरत 200 से अधिक शिक्षकों का विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता एवं निहित स्वार्थ की वजह से आज तक सेवा नियमितिकरण नही हो पाया है जिससे इन शिक्षकों का भविष्य अंधकारमय नज़र आता है। अगर इन शिक्षकों को न्याय नहीं मिला तो इनके परिवार एवं बच्चों को भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।बिहार सरकार के हाल के एक निर्णय से प्रत्येक पंचायत में एक +2 स्तरीय विद्यालय खुलेगा से वित्तरहित शिक्षण संस्थाओ के अस्तित्व पर ही ग्रहण लग जाने की संभावना है। एक सुनियोजित तरीके से वित्तरहित शिक्षण संस्थाओं को बंदी के कगार पर पहुँचाने का काम हो रहा है।सीट वृद्धि का निर्णय पहले ही वापस लिया जा चुका है जिससे इन शिक्षण संस्थानों में आधी सीट ही रह गई है।इससे शिक्षकों एवं कर्मचारियों को मिलने वाली अनुदान राशि भी काफी कम हो जाएगी ।कुल मिलाकर इन संस्थानों के समक्ष संकट बहुत गंभीर है। वर्तमान हालात में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का सरकार का दावा हथेली पर घास उगाने जैसा है। सरकार यदि राज्य में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के प्रति गंभीर है।प्रो०कुमार ने सरकार से आग्रह करते हुए निम्नलिखित बिंदुओं पर जल्द से जल्द सकारात्मक कदम उठाने की मांग की है।
1.अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों का सरकार अभिलंब अधिग्रहण करें। 2.संबद्ध इंटरमीडिएट एवं डिग्री कॉलेजों को परीक्षाफल आधारित अनुदान के बदले घाटानुदान या वेतनमान दिया जाए ताकि शिक्षा व्यवस्था में शुचिता एवं गुणवत्ता लाया जा सके । 3.वित्तरहित कॉलेज में अध्यापन करने वाले शिक्षकों को सहायक प्राध्यापक की बहाली में 20 प्रतिशत अधिभार (वेटेज) मिलना चाहिए ताकि उनके अनुभव का फायदा छात्रों को मिल सके। 4.चयन समिति की सिफारिश एवं शासी निकाय से अनुमोदन प्राप्त शिक्षकों की सेवा नियमितिकरण संबंधी अधिसूचना निर्गत करने हेतु जयप्रकाश विश्वविद्यालय प्रशासन को अभिलंब निर्देश जारी किया जाए। 5.माध्यमिक एवं उच्चत्तर माध्यमिक शिक्षकों के अवकाशग्रहण करने की उम्र सीमा 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया जाए। 6.बकाया अनुदान राशि एकमुश्त विमुक्त किया जाय। 7.अनुदानित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों की सामाजिक -आर्थिक सुरक्षा के मद्देनजर सेवांत लाभ एवं पेंशन देने का प्रावधान किया जाए।
उम्मीद है कि सरकार इन वित्तरहित अनुदानित शिक्षण संस्थानों की चिरलंबित समस्याओं के समाधान हेतु शीघ्र सकारात्मक कदम उठाएगी।