गोरखपुर :: मोची मेला का हुआ आगाज, सर्दी में कोई बिना जूते के ना रहे इसलिए हुई पहल

आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव, कुशीनगर केसरी, गोरखपुर। विश्व में पहली बार एक ऐसा कार्यक्रम कराया जा रहा है जो कि मोची पर आधारित है जो अपनी जीविका चलाने में असमर्थ हैं उनके लिए आसपास के सभी क्षेत्रों और विद्यालयों से फटे पुराने जूतों को इस मोची मेला में प्रतियोगिता के दौरान बनवाया जाएगा। प्रत्येक मोची को उसका मेहनताना भी दिया जाएगा। सबसे ज्यादा जूते बनाने वाले मोचियों को नगद राशि ₹5000  ₹4000 और ₹3000 का उपहार दिया जाएगा। सभी मरम्मत किए हुए जूतों को बनटांगिया और गरीब जरूरतमंदों को बांटा जाएगा ताकि वे सर्दी से बच सकें, साथ ही स्वेचछा से दान किए हुए गर्म कपड़ों को भी गरीबों एवं जरूरतमंदों में बांटा जाएगा।मोची मेला में प्रतियोगिता के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम की सुंदर प्रस्तुति होगी।मोची मेला के निदेशक रामाशंकर सिंह ने बताया कि इस मेले का उद्देश्य मोचियों को प्रोत्साहित करना और उनको आर्थिक मदद करना है साथ हीं एक साथ बहुत से जूते तैयार कर गरीबों तक पहुंचाना है।मोची मेला के आयोजक अमृता प्रीतम सिंह ने बताया कि हर वर्ष कोशिश की जाती थी कि ज्यादा से ज्यादा जूते और कपड़े गरीबों तक पहुंचाया जाए परंतु इतना फंड न हो पाने की वजह से सभी जरूरतमंदों तक सामान नहीं पहुंच पाता था इसलिए इस बार मोची मेला  आयोजित कर "एक पंथ दो काज" को अंजाम दिया जा रहा है।मोची मेला के सहायक के रूप में यामिनी कल्चरल इन्सटीट्यूट के चेयर पर्सन सोनिका सिंह ने एक सराहनीय पहल बताया है। इस मेले को सार्थक  बनाने में उनका बहुत हीं योगदान है। आगे रामाशंकर सिंह ने बताया कि जितनी मुश्किलें हमें जूते जुटाने में हुई उससे कहीं ज्यादा मोचीयों को मनाने में हुई। गोरखपुर के अलग-अलग जगहों से गरीब मोचियों को ढूंढना और उन्हें समझा पाना आसान नहीं था।फिर भी हिम्मत नहीं हारी। मुश्किलें तो फटे पुराने जूतों के लिए भी हुई परंतु इसमें सभी विद्यालयों ने अपना सराहनीय योगदान दिया।